अर्ज है:----
छोड़ आए है पीछे, न जाने कितने मक़ाम;
धुँधली धुँधली यादें है, कुछ बिखरे अरमान;
वह चेहरों का जमघट, वह अनजान राहें !
हर मुसाफ़िर के जीवन का यही है अन्जाम ।
क्योंकि :----
सारी रात किया मैंने जिनका इन्तज़ार,
आए नहीं वह लेकिन किया था इकरार;------2
अब न रखेंगे क़दम, हम तेरी गलियों में,
क्यों मंडराएगा, भँवरा अब कलियों पे ?-----2
छोड़ आए है पीछे, न जाने कितने मक़ाम;
धुँधली धुँधली यादें है, कुछ बिखरे अरमान;
वह चेहरों का जमघट, वह अनजान राहें !
हर मुसाफ़िर के जीवन का यही है अन्जाम ।
क्योंकि :----
सारी रात किया मैंने जिनका इन्तज़ार,
आए नहीं वह लेकिन किया था इकरार;------2
अब न रखेंगे क़दम, हम तेरी गलियों में,
क्यों मंडराएगा, भँवरा अब कलियों पे ?-----2
No comments:
Post a Comment