यह चेहरे की रंगत, यह आंखों का नूर; दिल-ए-आशिक मे क्यों न भरे यह गुरूर।
पेश है यह गीतः-
आपकी इनायत है मेहरबान हमारे,वरना हम कहां थे काबिल तुम्हारे;
एह्सान है तुम्हारा हमें दे दिया दिल, ख्व्वाब में भी आप न मेरी थे मन्जिल।
----------------------------आपकी इनायत है मेहरबान हमारे,वरना हम कहां थे काबिल तुम्हारे;
महिफिलों में चर्चे होते आप ही के नाम के, आशिकी में हारे दिल रहते न काम के;
दि्लजलों मॅ ऐसे कुछ दौलत के पुजारी वो, पैसे से करना चाहे इश्क की सवारी को।
----------------------------आपकी इनायत है मेहरबान हमारे,वरना हम कहां थे काबिल तुम्हारे;
कल तक जो लगता था खाली सा मयखाना, दिल के मरीजों का अब है दवाखाना;
कोई गम में डूब के शोक मना रहा, नई चालों का कोई जाल फैला रहा।
----------------------------आपकी इनायत है मेहरबान हमारे,वरना हम कहां थे काबिल तुम्हारे;
हम बन मुसाफिर तेरी गलियों में आए थे, आशिकों के दर्द के किस्से खींच लाए थे;
हमने न सोचा "राजी" ऐसा यह नसीब होगा, दुनिया का सितमगर अपने करीब होगा।
-----------------------------आपकी इनायत है मेहरबान हमारे,वरना हम कहां थे काबिल तुम्हारे;
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