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MAIN KHAAMOSH HUN MUJHKO KHAMOSH RAHNE DO--EK GAZAL( I am silent, let me be so!)
by rajee kushwaha inCreative
Posted on 19 Sep 2008
THIS POEM WAS WRITTEN IN THE WINTERS OF 1986--SEVEREST WINTER OF THE LAST CENTURY!------I WAS THEN AT SIACHEN ---'SIALA COMPLEX'-----SOME 20,000 FEET ABOVE 'MEAN SEA LEVEL'. I HAD COME DOWN TO BASE CAMP AT 12000 FEET, FOR A DAY---IT IS THEN I WROTE. WE WERE TO GO 'OP TRIDENT THE LONG BEARD IS ITS TESTIMONY. ROOM AT BASECAMP WAS 'BUKHARI HEATED---VERY COZY! I will post the english translation, too. Kindly read on:-
मैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो, खुलेगी 'गर जुबां मेरी, दिलों मे शोला भड्केगा।
मैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो, खुलेगी 'गर जुबां मेरी, दिलों मे शोला भड्केगा।
अर्ज किया हैः-
सडक पे चिल्लाने से झूठ कभी सच्च नही होता,
वह पेड क्या झुकेगा जिसमे कभी फल नही होता?
तुम्हारी फितरत है बद्लना गिरगिट की तरह रंग---
हम वह हरियाली है, फागुण में भी रंग कुछ और नही होता।
क्योंकिः-
बातें पर्दे में हमने की, इन्हें पर्दे में रहने दो,
भेद कोई हमने खोला तो शहर में कहर बरसेगामैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो;खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
तुम कुछ भी कहते हो तो यह परिहास होता है-
हम लफ्ज दो कह दे, तो यह अभिशाप होता है;
हमको नही यह शौक, यूं ही नाम ले लेना-
पहल आपकी 'गर हो, हमें तो कर्ज है देना। '
मैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो;
खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
भेद कोई हमने खोला तो शहर में कहर बरसेगामैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो;खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
तुम कुछ भी कहते हो तो यह परिहास होता है-
हम लफ्ज दो कह दे, तो यह अभिशाप होता है;
हमको नही यह शौक, यूं ही नाम ले लेना-
पहल आपकी 'गर हो, हमें तो कर्ज है देना। '
मैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो;
खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
मैने माना कि महफिल में अभी रुतवा नही मेरा,
लेकिन जम जाएंगे हम तो लगा के अपना यहां डेरा;
हम बुलबल है इस चमन की हर शाखा पे टहलेंगे;
कल खेला था एक खेल, अब तो और भी खेलेंगे|
लेकिन जम जाएंगे हम तो लगा के अपना यहां डेरा;
हम बुलबल है इस चमन की हर शाखा पे टहलेंगे;
कल खेला था एक खेल, अब तो और भी खेलेंगे|
मैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो;
खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
"राजी" तेरे आने की खबरें आज उडी है यूं हवाओं में,
कोई दुखी तेरे अन्दाज से, कोई खुश है तेरी आदाओं से;
तुम चलते जाओ राहों पे, मन्जिल तक कदम ले जाएंगे,
कई'मील के पत्थर' आएंगे, कुछ तुमसे भी टकराएंगे.
कोई दुखी तेरे अन्दाज से, कोई खुश है तेरी आदाओं से;
तुम चलते जाओ राहों पे, मन्जिल तक कदम ले जाएंगे,
कई'मील के पत्थर' आएंगे, कुछ तुमसे भी टकराएंगे.
मैं खामोश हूं मुझको जरा खामोश रहने दो;
खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
खुलेगी 'गर जुबां मेरी दिलों मे शोला भड्केगा।
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