TALAASH(SEARCH)--A HINDI POEM!-----Let Us Debate Contest-5
Jul 16 2008 | Views 1133 | Comments (25) | Report Abuse
Tags: it is a dialogue with inner self to be upright and honest
तलाश ---एक गीत
आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
छोड आए थे जिसे,
बीच राहों में जो हम;
बीच राहों में जो हम.
हमें शायद याद नही,
चेहरा और नाम भी नही;
दर्द देता है लेकिन,
उसकी आहों का गम;
उसकी आहों का गम.
-------------आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
गली और कूचों में,
सडकों और बजारों में;
जंगल से मैदानों मे,
खण्डहर की दीवारोंसे;
खण्डहर की दीवारोंसे.
बच्चों और बूढों से,
दोस्त और यारों से;
हमने पूछा लिख के,
छापा इशितिहारों मे;
\ छापा इशितिहारों मे.
------------आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
सब ने किया यह सवाल,
क्या थी उसकी पहचान;
श्कल और सूरत में,
कोई तो होगा रे निशान;
कोई तो होगा रे निशान.
तभी दिल के कोने से,
यकदम हुआ फिर एलान;
"सोने चांदी के लिए,
तुमने बेचा था इमान."
तुमने बेचा था इमान.
------------आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
कहां ढूंढे उसको,
गुम है मेरा जमीर;
छोड के चला जो गया,
कर गया हमको फकीर;
कर गया हमको फकीर.
"राजी" एह्सास हो गया,
झूठ का नही मैं सफीर;
खो के इमान अपना,
कैसे तुम बनोगे आमीर?
कैसे तुम बनोगे आमीर?
आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
छोड आए थे जिसे,
बीच राहों में हम
बीच राहों में हम
आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
छोड आए थे जिसे,
बीच राहों में जो हम;
बीच राहों में जो हम.
हमें शायद याद नही,
चेहरा और नाम भी नही;
दर्द देता है लेकिन,
उसकी आहों का गम;
उसकी आहों का गम.
-------------आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
गली और कूचों में,
सडकों और बजारों में;
जंगल से मैदानों मे,
खण्डहर की दीवारोंसे;
खण्डहर की दीवारोंसे.
बच्चों और बूढों से,
दोस्त और यारों से;
हमने पूछा लिख के,
छापा इशितिहारों मे;
\ छापा इशितिहारों मे.
------------आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
सब ने किया यह सवाल,
क्या थी उसकी पहचान;
श्कल और सूरत में,
कोई तो होगा रे निशान;
कोई तो होगा रे निशान.
तभी दिल के कोने से,
यकदम हुआ फिर एलान;
"सोने चांदी के लिए,
तुमने बेचा था इमान."
तुमने बेचा था इमान.
------------आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
कहां ढूंढे उसको,
गुम है मेरा जमीर;
छोड के चला जो गया,
कर गया हमको फकीर;
कर गया हमको फकीर.
"राजी" एह्सास हो गया,
झूठ का नही मैं सफीर;
खो के इमान अपना,
कैसे तुम बनोगे आमीर?
कैसे तुम बनोगे आमीर?
आज ढूंढा उनको,
बहुत ढूंढा हमने;
छोड आए थे जिसे,
बीच राहों में हम
बीच राहों में हम
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