Tuesday, 29 May 2012

HINDI POEM-11--यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं (New-2)

यह हवा, यह अदाएं कहॉं से आ रही हैं?
यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं?

गली में शौर शराबा है,सडक पे मार-पीट है?
बुझे-बुझे से चेहरे और बुझी-बुझी तवीयत हैं;
यह हवा, यह अदाएं कहॉं से आ रही हैं?
यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं?

दिलों में लगी आग और नफरत का कारोवार है,
ईमान भी बिकता यहॉं, यह मज़हव का बाज़ार है;
यह हवा, यह अदाएं कहॉं से आ रही हैं?
यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं?
कोई बाप अपनी बेटी से कर रहा ब्लात्कार है,
कहीं नव-नबेली दुल्हन तो 'दहेज़' का शिकार है?
यह हवा, यह अदाएं कहॉं से आ रही हैं?
यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं?
स्कूल और कॉलेज के आज मासूम कहां बच्चे हैं?
चरस, दारू, हिन्सा के बन गए यह अडडे हैं;
यह हवा,यह अदाएं कहॉं से आ रही हैं?
यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं?
झूठ नेता बोलते हैं, झूठा ही आज प्रशासन है,
रफ्तार भरी जिन्दगी में कही नही अनुशासन है;
यह हवा, यह अदाएं कहॉं से आ रही हैं?
यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं?
"राज़ी" कैसी दुनिया यह, कैसा अन्धकार है?
चारों तरफ मचा हुआ कैसा यह हहाकार है?
यह हवा,यह अदाएं कहॉं से आ रही हैं?
यह ज़िन्दगी की राहें कहां को जा रही हैं?

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