Wednesday 30 May 2012

HINDI POEM-18 धोखा नज़रों क़ा?


धोखा नज़रों क़ा?


क्या थे हम ए-दिलबर लेकिन तुम क्या सोच रहे हो?
आपकी नज़रों का धोखा, हमे क्यों कोस रहे हो?

प्यार के इस रंग में हम पार कर गए सरहदें,
बे-बफा तुम खुद ही निकले अब क्यों रो रहे हो?

------क्या थे हम ए-दिलबर लेकिन तुम क्या सोच रहे हो?
दिल तुम्हारा हो गया, हम संग तुम्हारे चल दिए,
लुट गई इस दुनिया में अब तुम क्या खोज़ रहे हो?

------क्या थे हम ए-दिलबर लेकिन तुम क्या सोच रहे हो?
ध्यान से देखो 'राज़ी" तुम जान लो गे सच्च को,
पर्दा हटा के देख लो क्यों मुंह को नोच रहे हो?

------क्या थे हम ए-दिलबर लेकिन तुम क्या सोच रहे हो?

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