Tuesday 29 May 2012

HINDI POEM-10 --हम और तुम-एक गज़ल!

हम और तुम-एक गज़ल!
तेरे आने से जो खुशी मिली नही माप सको पैमाने से,
हम भूल गए हैं वो दर्द सभी,शुरु हुए जो तेरे जाने से.


सदमा वो काफी ग़हरा था,रातों को नींद न आती थी,
तेरे साथ बिताए लम्हों की यादें हमें खूब सताती थी;
तेरे रूप का कोई सानी नहीं सब कहते थे मयखाने में-
मेरे प्यार में कोई कमी थी क्या,फिर पूछ्ते इस दीवाने से.


तेरे आने से जो खुशी मिली नही माप सको पैमाने से,
हम भूल गए हैं वो दर्द सभी,शुरु हुए जो तेरे जाने से.


हम प्यार की भूल-भुलैयां में सब रिस्ते नाते तोड गए,
तुम पानी के बहाव के संग जीवन की नैय्या मोड गए;
मैं फिर भी हुआ निराश नही,कोई गिला न था ज़माने से-
तुम उंगली जिनकी पकडे थे वो खुद से ही बेगाने थे.


तेरे आने से जो खुशी मिली नही माप सको पैमाने से,
हम भूल गए हैं वो दर्द सभी,शुरु हुए जो तेरे जाने से.

बागों में फूल खिलें हैं फिर,क्या मस्ती इनकी आदाओं में?
बुलबुल के आने कि खबरें आज उडी रही खूब हवाओं में;
क्या झूल रहें हैं पेड सभी जो कल तक लगे बीराने से?
क्या महक चमन में आई है जो कैद थी किसी तहखाने मे?


तेरे आने से जो खुशी मिली नही माप सको पैमाने से,
हम भूल गए हैं वो दर्द सभी,शुरु हुए जो तेरे जाने से.


तुम्हे चाहने वाले ज़रूर थे हम पर तेरे मन के मीत नही,
कुछ कदम हमारे साथ चलो "राज़ी" को यह उम्मीद नही;
आज़ देख तुझे दिल भर आया,शिकवों का यह संगीत नही--
गर प्यार में तेरे हम हार गए, यह तेरी भी कोई जीत नही.


तेरे आने से जो खुशी मिली नही माप सको पैमाने से,
हम भूल गए हैं वो दर्द सभी,शुरु हुए जो तेरे जाने से.

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