Tuesday, 29 May 2012

HINDI POEM-13 BIKHRE SAPNE

झूठा था तेरा प्यार दिलवर!



झूठा था तेरा प्यार दिलवर,
झूठे थे तेरे कायदे सनम;
बिखरे है मेरे सपने इधर-
टूटे जो तेरे वायदे सनम.

गुस्से में देखती हैं निगाहें तेरी?
मेरे शिकवों की अब गुंजयास कहां?
ऐसी दिल में लगी है चोट गहरी,
कैसे प्यार की हो अब नुमायश यहां?

गुस्सा हमको भी पागल कर देता है,
खूब दिल में होती है जलन;
खून आंखों में मेरे उतरता है ,
झूमें गैरों की बाहों में सनम.

चलो छोडो भी अब रुसवाई अपनी,
दोष हमको ना दो बे-बफाई का यूं--
निकल गए हैं कितने ही मौसम सुहाने,
किस्सा सुनते-सुनाते सफ़ाई का यूं.
आओ मौका है फिर से नज़रें मिलाएं,
ला दे चमन में फिर से बहारें;
'गर दिलवर नही तो दोस्त बन जाएं,
शायद बुझ जाए इन दिलों के अन्गारे.
कभी होगा न अपना फिर राबता यहां,
इस बात का हमको नही कोई गम;
जाते जाते यह तुम से गुजारिश है, -
मेरी यादों में बसे रहना तुम.
दिल तो दिल है सदा चाहे फायदा तेरा,
प्यार सच्चा किया जो हमदम ;
चाहे कितना भी तुम इसे दर्द दे दो,
उफ्फ करेगा ना कभी भी जानम.

राहें बे-शक हमारी हो गई अलग,
क्या दिल भी अलग है सनम?
"राज़ी" तेरा-मेरा क्या रहा वास्ता--
कभी लेंगे न झूठी पर कसम.

No comments:

Post a Comment