Tuesday 29 May 2012

HINDI POEM-7 बदलता वक्त---

यह महल ,यह चौवारे खडे है वहीं के वहीं,
कल जो मालिक थे इनके, अब दिखते नहीं.    |
यह आसमाँ, यह ज्ञमीं, यह सितारे, किसके है?
यूं ही रह जायेंगे पीछे, सब के सब जिसके हैं |
मौसम आए और चले गए,पर बहता रहा  है दरिया यह;
 कई उतरे कारवां यहाँ , हुए गुम वक्त के आंचल में वह |


 कभी हम पे भी यौवन था? बहुत हंसते हो तुम देख के हमारे बूढे बदन को,
मत भुलो कभी हम पे भी यौवन था;
तुम भी गुजरोगे,ए-दोस्त,इन राहों से किसी दिन तो,
यह बहता दरिया इसका अनुमोदन था.


सूख जाएगा एक दिन यह हरा भरा नजारा,
फिर न आएगी इस पे बहारें दोबारा;
यही है जीवन का किस्सा भी मेरे यार,
वक्त पे किसी का क्या होगा इख्तियार? 

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