Tuesday, 29 May 2012

HINDI POEM 15 ( New) घुट घुट के यूं न जिया करो--एक गीत

घुट घुट के यूं न जिया करो--एक गीत तुम्हारे लिए.

  
   मैने कितनी बार कहा तुम से,
तुम जो भी करो,करो मन से;
थोडा प्यार भी हम से किया करो,
घुट घुट के यूं न जिया करो.
---- मैने कितनी बार कहा तुम से,
आज हम पे छाया अन्धेरा है,
लेकिन आगे तो नया सवेरा है;
हर बात न दिल पे लिया करो-
घुट घुट के यूं न जिया करो.
---- मैने कितनी बार कहा तुम से,

माना यह दुनिया बाजार सनम,
रोज बिकते यहां अब दीन धर्म;
कुछ हम पे यकीन भी किया करो,
घुट घुट के यूं न जिया करो.
-----मैने कितनी बार कहा तुम से,
सपनों को लेना कोई जुर्म नही-
उन्हें पाने के करो कर्म सही;
यूं दिल पे बोझ न लिया करो-
घुट घुट के यूं न जिया करो.
---- मैने कितनी बार कहा तुम से,

बन जाए यह दर्द नासूर कहीं?
"राजी" का कोई कसूर नही;
दवा प्यार की भी लिया करो,
घुट घुट के यूं न जिया करो.
-----मैने कितनी बार कहा तुम से,

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