Tuesday 29 May 2012

KAKYABI KI KUNJI--HINDI POEM-2

KAAM YABI KI KUNJI



इस दुनिया में ए-दोस्त मेरे, दो क़िस्म के लोग होते हैं,
एक दूजों को रूलाते है, दूजे हरदम ख़ुद ही रोते हैं ।

रोने वाले इस जीवन में कुछ नहीं कभी कर पाते हैं,
कामयाबी उन्हे मिलती जो दूजों को ख़ूब रूलाते है।

यही है सार इस जीवन का, यही एक नग्न सच्चाई है;
गाए तो है कई गीत "राज़ी", धुन अब समझ में आई है

No comments:

Post a Comment