हम ने दिया था दिल----एक गीत वैलेन्टाईन के
नाम!
कुछ शयर अर्ज़ करता हूं-----
बहुत नाज़ुक है तेरे शहर के लोग, खौफ़ लगता है इनको अन्धेरे से;
यह मर्द नहीं, यह मुर्दा है, नकाब उतारे क्या तेरे चेहरे से?
मेरी "वैलेन्टाईन" दिल पे राज़ करो,यह रियासत तुम्हे मुबारिक हो, मेरे ज़हन से दूर न जाना कभी, सोने चॉंदी से चाहे स्वागत हो.
क्योंकि -------
हम ने दिया था दिल मोहब्बत के नाम से,
इसे ठोकरें न मारो तुम गुलाम मान के;
होंगे गुलाम तेरे, न-मर्द इस शहर के;
जरा कनखियों से देखो हम लडते हैं कहर से--
हकीकत है क्या प्यार की, तुम्हे कैसे हम बताऍं?
तुम नाज़ जिन पे करते हो, वो खुद के न हो पाए.
हम ने दिया था दिल-------------------
तुम बात किन असूलों की, यूं बार बार करते हो,
बिकते तेरी गली में वो, तेरी ही हामी भरते जो;
पर्दा हटा के देख लो, जरा जान लो हकीकत को,
दिन में सलामी देने वाले, कैसे कोसते तुझे रात को.
हम ने दिया था दिल----------------------
खूब बढ गया है अब तो, तेरे झूठ का इदायारा;
मुर्दों के इस शहर में खूब रौब है तुम्हारा-
अब वक्त आ गया है, तुम फैंक दो नकाब को,
कहीं हाथ उठ ना जए, "राज़ी" नोच दे शबाव को.
हम ने दिया था दिल, मोहब्बत के नाम से,
इसे ठोकरें न मारो तुम, गुलाम मान के-------
कुछ शयर अर्ज़ करता हूं-----
बहुत नाज़ुक है तेरे शहर के लोग, खौफ़ लगता है इनको अन्धेरे से;
यह मर्द नहीं, यह मुर्दा है, नकाब उतारे क्या तेरे चेहरे से?
मेरी "वैलेन्टाईन" दिल पे राज़ करो,यह रियासत तुम्हे मुबारिक हो, मेरे ज़हन से दूर न जाना कभी, सोने चॉंदी से चाहे स्वागत हो.
क्योंकि -------
हम ने दिया था दिल मोहब्बत के नाम से,
इसे ठोकरें न मारो तुम गुलाम मान के;
होंगे गुलाम तेरे, न-मर्द इस शहर के;
जरा कनखियों से देखो हम लडते हैं कहर से--
हकीकत है क्या प्यार की, तुम्हे कैसे हम बताऍं?
तुम नाज़ जिन पे करते हो, वो खुद के न हो पाए.
हम ने दिया था दिल-------------------
तुम बात किन असूलों की, यूं बार बार करते हो,
बिकते तेरी गली में वो, तेरी ही हामी भरते जो;
पर्दा हटा के देख लो, जरा जान लो हकीकत को,
दिन में सलामी देने वाले, कैसे कोसते तुझे रात को.
हम ने दिया था दिल----------------------
खूब बढ गया है अब तो, तेरे झूठ का इदायारा;
मुर्दों के इस शहर में खूब रौब है तुम्हारा-
अब वक्त आ गया है, तुम फैंक दो नकाब को,
कहीं हाथ उठ ना जए, "राज़ी" नोच दे शबाव को.
हम ने दिया था दिल, मोहब्बत के नाम से,
इसे ठोकरें न मारो तुम, गुलाम मान के-------
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