Tuesday, 29 May 2012

HINDI POEM-14 ROOHOn KI DOSTI

रूहों की दोस्ती और प्यार!
ढूंढ लिया आज मैने तुमको, सफल हुआ मेरा प्रयास,
देख मगर यह हालत तेरी हो रहा हूं मैं खूब निराश;
अबे,क्या सोच के बन गया तू, इन्सान का बच्चा?
मैं पैदा हुआ हूं गिध्द, मगर हूं तुम से अच्छा.

कितनी बार समझाया था, हर पहलु मैने बतलाया था-
नर्क है इन्सानों की दुनिया,क्यों तेरी समझ न आया था?
लेकिन तू ने सुना कहां, मगन रहा अपनी धुन में पक्का,
मैं गिध्द हो गया पैदा, तू बन गया इन्सान का बच्चा.
मैं उडता हूं आसमानों में,तू पडा जमीं पे औंधे मुंह,
मैं खेलूं संग हवाओं के, तू झेल रहा गर्मी की लू;
"हम भूख-प्यास मे संग रहें", असूल हमारा है सच्चा,
क्या कहने तुम इन्सानों के, तुझे छोड गई तेरी जच्चा?
मै प्यार दिखाने आया हूं, दोस्त का फर्ज निभाने आया हूं,
निर्दयी इन्सान की दुनिया से तुम्हे मुक्ती दिलाने आया हूं;
बैठे रहना चुपचाप तुम "राजी", खा जाऊंगा तुमको कच्चा,
मौका अगर मिले फिर तुमको, मत बनना इन्सान का बच्चा.

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